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#DivinePlayAtMaghar पूर्ण परमात्मा कविर्देव(कबीर परमेश्वर)माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते हैं।अपने निज स्थान सतलोक से सशरीर आते हैं,सशरीर जाते हैं। 1398में काशी में लहरतारा तालाब में शिशुरूप में प्रकट हुए और 1518में मगहर से सशरीर सतलोक गये।उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित पुष्प मिले।
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: #DivinePlayAtMagharKabir is Godकबीर परमेश्वर जी की मगहर लीलामगहर से कबीर परमात्मा हजारों लोगों के सामने से सशरीर सतलोक को गये थे।सत् कबीर नहीं नर देही, जारै जरत ना गाड़े गड़ही।पठयो दूत पुनि जहाँ पठाना, सुनिके खान अचंभौ माना।दोई दल आई सलाहा अजबही, बने गुरु नहीं
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पूर्णब्रह्म कबीर साहब जी का ही धन है पवित्र चारों वेद भी साक्षी हैं कि पूर्ण परमात्मा ही पूजा के योग्य है, उसका वास्तविक नाम कविर्देव (कबीर परमेश्वर) हैतथा तीन मंत्र (ॐ, तत् सत्) के नाम का जाप करने से ही पूर्ण मोक्ष होता है। इस नाम को देने अधिकारी केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही हैं
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जीवन रक्षक कबीर परमात्माहमारे सामने ध्रुव, प्रह्लाद, मीराबाई, द्रौपदी, रविदास जी जैसे अनेकों उदाहरण हैं जिनकी परमात्मा ने उनके इष्ट देव के रूप में प्रकट होकर पल पल पर रक्षा की और भक्ति की लाज बचाई । उस परमात्मा के सिवाए अन्य से रक्षा की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
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